यीशु के जन्म का कहानी Story of Jesus Birth





Story of Jesus Birthलगभग 2000 साल पहले की बात है। राजा हेरोद, यहूदिया (अब इज़राइल का हिस्सा) का राजा थे। भगवान ने एन्जल गेब्रियल को एक युवा महिला के यहां भेजा। जो उत्तरी नजारेथ में रहती थी। लड़की का नाम मैरी था और वह जोसेफ से शादी करना चाहती थी।

एन्जल गेब्रियल ने मैरी से कहा कि भगवान ने आपको आशीर्वाद दिया है और आपसे प्रसन्न है। मैरी इस से बहुत हैरान हुई और उसे आश्चर्य हुआ कि एन्जल के कहने का क्या मतलब है। एन्जल ने मैरी से कहा कि ‘डरो मत, भगवान आप के उपर बहुत दयालु है। आप एक पवित्र आत्मा से गर्भवती होंगी और एक बच्चे का जन्म होगा। उस बच्चे का नाम यीशु होगा। वह बच्चा ईश्वर का पुत्र होगा और उसका राज्य कभी भी खत्म नहीं होगा। मैरी बहुत डर गई। लेकिन वो भगवान पर भरोसा की और सोचा कि जैसा परमात्मा का इच्छा है होने दिया जाये। गेब्रियल ने मैरी को यह भी बताया कि उसके चचेरे भाई एलिजाबेथ जो बच्चे का चाहत रखते है लेकिन काफी समय से बच्चा नहीं हो रहा है। उनको एक बच्चा होगा। उस बच्चे को परमात्मा ने यीशु के लिए रास्ता तैयार करने के लिए चुना है।




मैरी अपने परिवार और दोस्तों को goodbye बोल कर अपने चचेरी बहन एलिजाबेथ और उसके पति जेचारिआ से मिलने गयी। मैरी को देखकर एलिजाबेथ बहुत खुश हुई। वह जानती थी कि मैरी को परमात्मा ने अपने बेटे की मां बनने के लिए चुना है। एन्जल ने पहले ही जेचारिआ को बता दिया था कि एलिजाबेथ का बच्चा लोगों को यीशु का स्वागत करने के लिए तैयार करेगा। उसे जॉन (John) कहा जायेगा। मैरी एलिजाबेथ के साथ तीन महीने तक रही उसके बाद अपने घर नजारत लौट आई।

जोसेफ को जब पता चला कि मैरी उनकी शादी से पहले ही एक बच्चे की उम्मीद कर रही है तो वे चिंतित हुए। उसने सोचा कि क्या उसे शादी नहीं करना चाहिए। तब एक देवदूत सपने में जोसेफ के सामने प्रकट हुआ और कहा कि मैरी को अपने पत्नी के रूप में अपनाने से डरो मत। दूत ने समझाया कि मैरी (मरियम) को परमात्मा ने अपने बेटे की मां बनने के लिए चुना है और यूसुफ को बताया कि बच्चे का नाम यीशु रखा जायेगा। जिसका अर्थ है ‘उद्धारकर्ता’ क्योंकि वह लोगों का उद्धार करेगा।

जिस जगह पर मैरी और यूसुफ रहते थे वो रोमन साम्राज्य का हिस्सा था। रोमन सम्राट ऑगस्टस यह सुनिश्चित करने के लिए उनके साम्राज्य में सभी लोग कर दे रहे है या नहीं इस उद्देश्य से अपने साम्राज्य मे रहने वाले सभी लोगों का एक सूची बनाना चाहता था । राजा ने सभी को उस जगह पर लौट जाने का आदेश दिया जहां उनका परिवार मूल रूप पहले रहता था और वहां उनका नाम पंजीकृत (जनगणना) हुआ। मैरी और जोसेफ ने नासरथ (Nazareth) से बेथलेहम तक का लंबा रास्ता (लगभग 70 मील) का यात्रा किये, क्योंकि यही वह जगह था जहां से जोसेफ का परिवार आया था। कुछ लोगों को यात्रा के समय आवश्यक वस्तुओं को ले जाने के लिए गधा था। जोसेफ और मैरी बहुत धीरे-धीरे यात्रा करते थे क्योंकि मैरी का बच्चा जल्द ही पैदा होने वाला था।

जब वे बेथलहम पहुंचे तो उन्हें रहने के लिए समस्याएं आयी। बहुत से लोग पंजियन (जनगणना) के लिए आये थे। सभी घर भर गये थे और रहने के लिए एकमात्र जगह जानवरों के रहने वाला जगह मिला। लोग अक्सर जानवरों को रात के समय घरों में रखते है।तो जिस स्थान पर जानवर रहते थे, उसी स्थान पर मैरी ने ईश्वर के पुत्र यीशु को जन्म दिया। उन दिनों नवजात शिशुओं को एक लंबे कपड़े में लपेट कर रखने की परंपरा थी। यीशु का बिस्तर जहा जानवर घास खाते थे वहीं था।

जैसे ही नया दिन शुरू हुआ, बेथलहम के बाहर पहाड़ियों और खेतों में चरवाहों के सामने अचानक एक देवदूत प्रकट हुआ और भगवान की महिमा उनके चारों ओर चमकने लगी। चरवाहे बहुत डर गये, लेकिन जोसेफ ने कहा, डरो मत। मेरे पास सभी के लिए एक अच्छी खबर है। आज बेथलहम में आप सभी के लिए एक उद्धारकर्ता पैदा हुआ है।

फिर आकाश से प्रकाशित होते हुए कई और स्वर्गदूत प्रकट हुए। चरवाहे उन्हें स्तुति गाते हुए देखा। जब स्वर्गदूत चले गये तो चरवाहे एक दूसरे से कहने लगे कि चलो बेथलहम चल कर देखते है कि क्या हुआ है। उसके बाद चरवाहे बेथलहम गए तथा मैरी और जोसेफ से मिले। बच्चा यीशु जानवरों के रहने के स्थान पर लेटा हुआ था। चरवाहे अपने भेड़ों के पास लौट आये और भगवान का धन्यवाद करने लगे कि वे अपने पुत्र को लोगों को उद्धार करने के लिए भेजे।




जब यीशु का जन्म हुआ, उस समय आकाश में एक नया चमकीला तारा दिखाई दिया था। कई देशों में कुछ विद्वानो ने उस चमकीले स्टार को देखा और अनुमान लगाया कि इस चमकीले तारे का क्या मतलब है। विद्वानो ने चमकीले सितारों के बारे मे पढ़ा था कि जब चमकीले तारे नजह आयें तो इसका मतलब यह है कि एक महान राजा का जन्म हुआ है।

विद्वान पुरुष यहूदिया देश के तरफ स्टार के हिसाब से खोजते और पूछते हुए जब यरूशलेम नामक राजधानी में पहुंचे तो वे लोग लोगों से पूछना शुरू किया कि वह बच्चा कहाँ है जो यहूदियों का राजा बनने के लिए जन्म लिया है। यहूदिया के राजा हेरोदेस ने यह सुना तो उसे चिन्ता हो गया कि कोई राजा बन के उभरेगा और उसका स्थान ले लेगा। हेरोदेस ने विद्वान पुरुषों को अपने पास आने के लिए निमंत्रित किया और कहा कि उस बच्चे को खोजें जो राजा बनने वाला है, मै उसकी पूजा करूँगा। हेरोदेस इसी बहाने से बच्चे को खोजवाकर मार देना चाहता था।

विद्वान लोग वह जगह खोज लिए जहां यीशु का जन्म हुआ था। यीशु और मैरी (मरियम) से विद्वान लोग मिले और यीशु का पूजा किये। विद्वान जो उपहार लाये थे वो यीशु के सामने रख दिये। विद्वानों को परमात्मा द्वारा सपने में चेतावनी दिया गया था कि, हेरोदेस वापस नहीं जाना। तो वे लोग अपने अपने घर लौट आए।

विद्वान लोग जब चले गये तो एक स्वर्गदूत सपने में जोसफ को दिखाई दिया। स्वर्गदूत ने कहा, उठो, यीशु और मैरी (मरियम) को यहां से ले जाओ और मिस्र से बचो। जब तक मैं आगे नहीं बताता तब तक वहीं पर रहो, क्योंकि हेरोदेस यीशु को जान से मारने के लिए खोज कर रहा है। तो जोसेफ (यूसुफ) उठ गया और रात के ही समय यीशु और मैरी के साथ मिस्र (Egypt) के लिए छोड़ दिया। वहां वे हेरोदेस की मृत्यु तक रहे।

हेरोदेस को जब ज्ञात हुआ कि उसे विद्वानों द्वारा धोखा दिया गया है। तो वह क्रोधित हुआ और उसने बेथलहम और उसके आसपास के इलाकों में दो या उससे कम आयु के सभी लड़कों का हत्या करने के आदेश दे दिया। यह आदेश नए होने वाले राजा को अपने रास्ते से हटाने के लिए जान से मारने के लिए राजा का आदेश था, क्योंकि राजा उस बालक ( यीशु) को ढूंढने मे असफल था।

हेरोदेस के मृत्यु के बाद, जोसेफ (यूसुफ) का एक और सपना था जिसमें एक स्वर्गदूत उसके सामने प्रकट हुआ। स्वर्गदूत ने जोसेफ से कहा कि उठो, यीशु और मरियम को साथ लेकर और इस्राइल (Israel) के पास वापस जाओ, क्योंकि जो मारना चाहता था वो मर चुका हैं। जोसेफ (यूसुफ) उठा और यीशु तथा मैरी (मरियम) को साथ लेकर वापस इस्राएल (Israel) चले गए। लेकिन जब उन्हे पता चला कि हेरोदेस का पुत्र अब यहूदिया (Judea) का राजा है, तो वे वहां जाने से डरते थे। इसलिए वे गलिली गए, और अपने पुराने शहर नासरत (Nazareth) में रहने लगे।
Jane History of Jain Religion जैन धर्म का इतिहास



Related Posts