लोहड़ी क्यों मनाया जाता हैं। लोहड़ी के पीछे की कहानी Why Are Lohri Celebrated? Story Behind Lohri





Story Behind Lohri

  • लोहड़ी मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों हरियाणा, पंजाब, हिमांचल और जम्मू में मनाया जाता है। इसमे पारंपरिक लोक गीतों को गाते है तथा नृत्य का आनंद लेते हैं।
  • इस दिन पृथ्वी, सूर्य से सबसे दूर होती है। इस दिन के बाद सूर्य उत्तरायण होते है। यानी, सूर्य के तरफ पृथ्वी अपनी यात्रा शुरू करती है। इस प्रकार वर्ष का सबसे ठंडा दिन लोहड़ी वाला दिन होता है। इस वजह से भी इस दिन आग जलाकर लोग अग्नी का पूजा करके मूंगफली, रेवड़ी आदि खाते है और आग सेंकते है।
  • इस त्योहार पर अग्नि का पूजा किया जाता है। नवविवाहित जोड़े जिनका पहला लोहड़ी हो तथा नवजात शिशु जिसका पहला लोहड़ी हो, उनके लिए खाश खुशी के साथ मनाया जाता है।
  • यह त्योहार सर्दियों की समाप्ति और नये फसल के मौसम का शुरुआत होने के खुशी मे मनाया जाता है। लोहड़ी में आग जला कर मुंगफली, रेवड़ी, पोपकोर्न आदि अग्नी को प्रसाद के रूप मे जढ़ाया जाता है तथा अग्नी का परिक्रमा किया जाता है।

लोहड़ी का महत्व Importance Of Lohri

  1. लोहड़ी और मकर संक्रांति से जुड़े उत्सव मुख्य रूप से सूर्य देव की पूजा के रूप मे मनाया जाता है। यह त्योहार भाईचारा, एकता, कृतज्ञता, खुशियाँ, सद्भावनाएँ और उत्साह के भावना का प्रतीक हैं।
  2. लोहड़ी त्योहार के साथ एक विशेष महत्व जुड़ा हुआ है। इस दिन सूर्य मकर राशी में प्रवेश करते है, इसे शुभ माना जाता है।
  3. पंजाब के लोगों के लिए, लोहड़ी एक मुख्य त्योहार है। पंजाब में फसल का मौसम तथा सर्दियों के मौसम का अंत होने का प्रतीक है। इस दिन से मौसम मे गर्मी आना शुरू हो जाता है। इस लिए इस दिन सूर्यदेव का पूजा किया जाता है।
  4. लोहड़ी के दिन से शरीर पर वायुमंडलीय परिवर्तन होता है।

लोहड़ी मनाने के पीछे की कहानियां Stories Behind Lohri Celebrations

भारत में लोहड़ी का त्योहार कई राज्यों में मनाया जाता है। इसलिए लोहड़ी मनाने के पीछे कई कहानियां हैं। उनमें से कुछ मुख्य कहानियां निम्नलिखित हैं –




1.) प्रह्लाद की कहानी Story Of Prahlad

प्रह्लाद एक दैत्यों के राजा, हिरण्यकश्यपू का पुत्र और विरोचन के पिता थे। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे। उनके पिता हिरण्यकश्यपू को उनका भगवान विष्णु के प्रति आध्यात्मिक झुकाव पसंद नहीं था। उसने प्रह्लाद को कई बार चेतावनी दिया । अपने पिता हिरण्यकश्यपू के कई चेतावनियों के बावजूद, प्रह्लाद भगवान विष्णु का पूजा करना नही छोड़े। उनके पिता प्रह्लाद को जान से मारने के लिए कई उपाय आजमाए लेकिन असफल रहे।

हिरण्यकश्यपू की बहन होलिका को वरदान था कि वो आग मे नहीं जल सकती। हिरण्यकश्यपू प्रह्लाद को होलिका के गोद में रख कर लकड़ी के ढेरी पर बैठा दिया। प्रह्लाद भगवान विष्णू से सुरक्षित रखने के लिए प्रार्थना किये। जब लकड़ी मे आग लगाया गया तो , होलिका जलकर मर गयी और प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी याद मे हिंदू होली का त्योहार मनाते है, तथा उसी याद मे लोग लोहड़ी मनाते है जिसमे लकड़ियाँ जलाना तथा अग्नि देवता से प्रार्थना करना शुरू कर दिये कि हमारे बेटों को आग से नुकसान ना पहुँचाएं जैसा कि प्रहलाद को कोई नुकसान नहीं हुआ था।

2.) पंजाब में लोहड़ी का इतिहास History Of Lohri In Punjab

  • मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान दुल्ला भट्टी पंजाब में रहते थे, उनके समय के लोहड़ी गीतो के थीम पर आज भी लोहड़ी गीत गाये जाते है।
  • राजस्थान, पंजाब और गुजरात के हिस्सों में अकबर के शासनकाल के समय लोहड़ी त्योहार काफी लोकप्रिय हुआ।
  • दुल्ला भट्टी के बंशज महा राजा रणजीत सिंह थे। दुल्ला भट्टी को पंजाब के नायक के रूप में माना जाता था। वो मुगलो द्वारा अमीरों को लूटने से बचाये तथा गरीब पंजाबी लड़कियों का भी रक्षा किये जिन्हे जबरन दास बाजार में ले जाया जाने वाला था।
  • वे उन लड़कियों की शादी के लिए लड़कों को तैयार करके उनके विवाह का व्यवस्था किये और उन्हें दहेज भी प्रदान किये। उनमें से दो लड़कियां सुंदरी और मुंदरी (1614 में विवाहित) थीं, जिनका नाम धीरे-धीरे पंजाब के लोकगीतों मे शामिल हो गया । इसलिए कुछ लोहड़ी गीतो मे दुल्ला भट्टी का आभार व्यक्त किया जाता हैं।
  • दुल्ला भट्टी जो पिंडी भट्टियन के राजा थे मुगल राजा अपने खिलाफ लगातार विद्रोह करने के लिए उनको मौत के घाट उतार दिया था।




लोहड़ी किस तरह मनाई जाती है? How Is Lohri Celebrated?

  • लोहड़ी त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाती है। लोहड़ी के दिन से एक सप्ताह पहले, बच्चे जलाने के लिए लकड़ी इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं।
  • हर कोई अपने घर के पास लकड़ी इकट्ठा करके और उसे जलाकर लोहड़ी मनाने मे गर्व महसूस करता है।
  • इस अवसर पर आग जलाया जाता है और परिवार के सभी सदस्य औक मेहमान आग के चारो ओर घूमते है और मूंगफली , पॉपकॉर्न, रेवड़ी आदि आग में फेंकते हैं तथा आपस मे मिल बांट कर खाते है।
  • लोहड़ी एक महत्वपूर्ण त्योहारो मे से एक है जो पूरे समुदाय मे हर्षोल्लास उत्पन्न करता है। प्रत्येक परिवार तिल और गुड़ का मिठाई, मूंगफली और कई अन्य तरह के स्वादिष्ट घर का बना हुआ या बाजार से लाकर, शाम के समय आग जलाने के बाद पूजा करके प्रसाद को आपस मे बांटते है।
  • बच्चे लड़के और लड़कियां घर-घर जाकर लोहड़ी मांगते हैं, जो नकद या मिठाई घर वाले बच्चों को देते है।
  • त्यौहार के बाद पंजाबी गिद्दा और भांगड़ा होता है तथा ढोल बजता है।
  • रात के समय पारंपरिक भोजन मक्की का रोटी और सरसों का साग खाते है।

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