काश्मीर का समस्या और उसका समाधान Kashmir Problem And Its Solution





Kashmir Problem And Its Solutionकाश्मीर में हो रहे संघर्ष का इस क्षेत्र के जनता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच इस लंबे विवाद को सुलझाने के लिए पाकिस्तान से आतंकवादियों का आना बंद करना होगा और जो आतंकवादी आ चुके है उनका सफाया करना होगा। साथ ही जो आतंकवादियों का समर्थन करते है , उन पर भी कड़ा कदम उठाना होगा। आतंकवादी और अलगाव वादी जब समाप्त हो जायेंगे तो देश के खिलाफ मानसिकता रखने वाले अपने आप ठीक हो जायेंगे।

एक नजर कश्मीर पर

जम्मू और कश्मीर राज्य में जातीय और धार्मिक विविधता तीन क्षेत्रों में विभाजित है। यह विविधता कश्मीर समस्या के जटिलता में योगदान दिया है। जम्मू और कश्मीर राज्य की 6 मिलियन आबादी जो काश्मीर घाटी में स्थित है, वो 98 प्रतिशत सूफी मत वाले इस्लाम है। दूसरे तरफ जम्मू डिवीजन की आबादी 5 मिलियन है, जिसमें से 60 प्रतिशत से अधिक हिंदू और 30 प्रतिशत मुस्लिम हैं। तीसरा क्षेत्र लद्दाख का है जिसकी आबादी लगभग 2.5 मिलियन है। जिसमें मुस्लिम बहुमत है। ये लोग शिया है, जो कश्मीर घाटी में समग्र सुन्नी बहुमत से अलग विचार रखते है।



काश्मीर में उग्रवाद की उत्पत्ति

1980 के दशक मे काश्मीर घाटी मे उग्रवाद शुरू हुआ। यह उग्रवाद मूल रूप से एक जातीय मुद्दा था। यह उग्रवाद धार्मिक रूप लिया जिससे पूरे घाटी में असहिष्णुता, धमकी और अंततः हिंसा का माहौल पैदा कर दिया और हिंसा का डर दिखाकर इस क्षेत्र से कश्मीरी हिंदू पंडितों को भागने पर मजबूर कर दिया गया। इसी के साथ इस क्षेत्र के अलगाव वादी मुसलमान आजादी के लिए लड़ाई लड़ने लगे। काश्मीर से उग्रवाद को समाप्त करने के लिए आर्थिक और राजनीतिक दोनों घटकों की आवश्यकता है।

भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए संभावित भूमिकाएँ Potential Roles For Both India And Pakistan

राजनीतिक स्थिति में प्रगति के लिए सीमा पार (पाकिस्तान) से आतंकवाद को पहले रोकना होगा तथा भारत और पाकिस्तान के बीच छद्म युद्ध को बंद करना होगा। आतंकवाद को रोकने के लिए भारी संख्या मे सुरक्षा बल तैनात करना पड़ता है जिस वजह से यहां के नागरिकों को रोजमर्रा के जीवन मे परेशानी होती है। लेकिन पाकिस्तान के कुटनीति ऐसी है कि वह आतंकवाद को नहीं रोक सकता। पाकिस्तान पहले पंजाब मे माहौल खराब किया था। जब पंजाब को अलग करने मे सफल नहीं हुआ तो काश्मीर को अलग करना चाहता है।

काश्मीर का जनता भारत मे रहकर भारत के ही खिलाफ सोच रखें तो देश मे कहीं भी उन्हे नीजी क्षेत्र मे नौकरी पर नहीं रखेगा। पुलवामा मे हुए बम विस्फोट के बाद कई जगह से काश्मीर के छात्रों को देश विरोधी गतिविधियों के कारण शिक्षण संस्थान से निकाला गया। देश विरोधी सोच रखने के वजह से काश्मीरीयों मे बेरोजगारी भी बढ़ेगा। जो उग्रवाद का कारण होगा।

काश्मीर समस्या का समाधान Solution Of Kashmir Problem

भारत के विभाजन के बाद से ही कश्मीर का समस्या शुरू हुआ। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के निर्माण ने ही समस्या खड़ी की। काश्मीर का इतिहास एक स्वतंत्र संप्रभु देश के रूप में 5000 वर्षों से अधिक का है। कश्मीर के अस्तित्व का जिक्र एक स्वतंत्र संप्रभु देश के रूप में ग्रीस, चीन और अरब देशों सहित कई प्राचीन इतिहासों ने उल्लेख किया है। बाहरी शासकों के अधीनता के चार शताब्दियों के बाद काश्मीरियों के पास अपने स्वतंत्रता और संप्रभुता को पुनः प्राप्त करने का एक मौका था, लेकिन दुर्भाग्य से 1948 मे पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया।




काश्मीर का समस्या 70 वर्षों से है। इस दौरान हजारों कश्मीरी मारे गए हैं तथा हजारों घायल और विकलांग हुए। तथा अरबों की संपत्ति नष्ट हो चुकी है। काश्मीरी पहले आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हुआ करते थे। माहौल खराब होने से अब उनका आर्थिक स्थिति खराब हो रहा है। बाहरी वित्तीय मदद के बिना, स्थानीय सरकार भी अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। इन दिनो काश्मीर का उपयोग छद्म युद्धों का मैदान है। कहा जाता हैं कि जब दो बैल लड़ते हैं, तो घास रौंद जाती है और यदि बैल प्रेम करते हैं, तो भी घास रौंद जाती है।

कुछ आतंकवादियों के खिलाफ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना को खड़ा करना पड़ रहा है। यह एक डर्टी वॉर है। यदि काश्मीर के लोग पाकिस्तान परस्त है तो अंतिम और स्थायी समाधान के लिए लोगों का शारीरिक और आर्थिक रूप से कुचलना भी ठीक नहीं है। लेकिन यदि जो लोग अलगाववादियों या आतंकवादियों का साथ देते है उनके साथ सख्ती से निपटना भी जरूरी है।

पूरे उप-महाद्वीप में काश्मीर घाटी एकमात्र ऐसा स्थान था जिसमें कोई भी सांप्रदायिक या धार्मिक संघर्ष नहीं होता था। यहां के लोग सदियों से आपसी प्रेम,सौहार्द और भाईचारे के साथ रह रहे थे। यदि हम काश्मीर के 5000 साल पुराने इतिहास का यदि हम अध्ययन करें तो मुगलों ने कश्मीर को अपने साम्राज्य में मिलाया, फिर अफगानों ने इसे ले लिया। उसके बाद सिखों ने इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया। बाद में अंग्रेजों ने सिखों को हराने के लिए अपनी वफादारी के लिए इसे डोगरा को दे दिया। ये सभी साम्राज्य खत्म हो गए हैं। लेकिन काश्मीर अभी भी वहीं पर हैं! यदि भारतीय उपमहाद्वीप का विभाजन नहीं हुआ होता या पाकिस्तान द्वारा 1948 में काश्मीर पर आक्रमण नहीं हुआ होता तो काश्मीरियों को अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता हासिल होता ।

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